रस की परिभाषा :-
  

जब हमें किसी काव्य,नाटक, कहानी इत्यादि को पढ़ने या सुनने या देखने से जो सुख, दुख, हार ,जीत का अनुभव प्राप्त होता है उसे रस कहते हैं।

उदाहरण :-

(1) हँसि-हँसि भाजै देख दूलह दिगंबर को,

       पहुँनो जो आवे हिमाचल के उछाल में। (हास्य रस )

(2) हे खग मृग हे मधुकर श्रेनी।
       तुम देखी सीता मृगनैनी।। (करुण रस )